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- "ओ हामिद अंसारी बोलो,ये जुमला क्यों बोल गये
- जाते जाते सदभावों में,ज़हर बता क्यों घोल गये
- बैठ वहां ऊंचे मकान में,व्यर्थ आप चिल्लाते हैं
- गांवों की दर असल हक़ीक़त,हम तुमको बतलाते हैं
- शस्य श्यामला इस धरती के जैसा कोई और नहीं
- भारत माता की गोदी से प्यारी कोई ठोर नहीं
- घर से बाहर ज़रा निकल के अकल खुजाकर के पूछो
- हम कितने हैं यहां सुरक्षित हमसे आकर के पूछो
- पूछो हमसे ग़ैर मुल्क में मुस्लिम कैसे जीते हैं
- पाक़,सीरिया,फिलस्तीन में,खूं के आंसू पीते हैं
- लेबनान,टर्की,इराक़ में भीषण हाहाकार हुए
- अल बगदादी के हाथों,मस्जिद में नर संहार हुए
- इज़राइल की गली गली में मुस्लिम मारा जाता है
- अफ़ग़ानी सड़कों पर ज़िंदा शीश उतारा जाता है
- केवल भारत देश,जहां सिर गौरव से तन जाता है
- यही मुल्क है जहां मुसलमान राष्ट्रपति बन जाता है
- इसीलिए कहता हूं तुमसे,यों भड़काना बंद करो
- साक्ष्य हीन ऐसे जुमलों से,हमें लड़ाना बंद करो
- बंद करो नफ़रत की स्याही से लिक्खी पर्चेबाजी
- बंद करो इस हंगामे को,बंद करो ये लफ़्फाजी
- ऐसा कहके अमृत घट में तुमने तो विष भर डाला
- जिस थाली में खाया तुमने छेद उसी में कर डाला"
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